भई हैं बिहाल बाल लाल के बिछोह काल
bha.ii hai.n bihaal baal laal ke bichhoh kaal
दीनदयाल गिरि
Deendayal Giri
भई हैं बिहाल बाल लाल के बिछोह काल
bha.ii hai.n bihaal baal laal ke bichhoh kaal
Deendayal Giri
दीनदयाल गिरि
और अधिकदीनदयाल गिरि
भई हैं बिहाल बाल लाल के बिछोह काल,
साँवरो सनेह देह दसा भूलि गई हैं।
जागि मुरुछा तै करै बातै घनस्याम ही की,
पिया-पिया चातकी सी हिया रट लई हैं॥
अहै प्राननाथ हाथ दीजिये हमारे माथ,
साथ ते न तजो बिरहागि ताप तई हैं।
दुरति न क्यों हूँ प्रभा फुरति हिए मैं नई,
स्याम की सुरति करि भई स्याममई हैं॥
- पुस्तक : दीनदयालगिरि-ग्रंथावली (पृष्ठ 29)
- संपादक : श्यामसुंदरदास
- रचनाकार : दीनदयाल गिरि
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा
- संस्करण : 1976
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