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डरो ना अहीरन तैं अगर अबीरन तैं

Daro na ahiran tain agar abiran tain

सरदार कवि

सरदार कवि

डरो ना अहीरन तैं अगर अबीरन तैं

सरदार कवि

और अधिकसरदार कवि

    डरो ना अहीरन तैं अगर अबीरन तैं,

    चारि जनी चारु चार ओरन तें धावो री।

    एक हाथ ओड़ो पिचकारी की अगारी मार,

    एक हाथ ओट राखि आँखिन बचवो री॥

    कबि सरदार आयो बड़ो खिलवारी ताहि,

    खेल को सवाद रंग रंगन बतावो री।

    कीरति कुमारी कह्यो हेरि कै कुमारी कोऊ,

    हौरी गुन वारी बनवारी बाँधि लावो री॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : षट्ऋतु हज़ारा (पृष्ठ 76)
    • संपादक : परमानंद सुहा
    • रचनाकार : सरदार कवि
    • प्रकाशन : नवलकिशोर प्रेस
    • संस्करण : 1894

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