प्रान जो तजैगो विरहागि में मयंकमुखी
praan jo tajaigo virhaagi me.n maya.nkmukhii
चिंतामणि
Chintamani
प्रान जो तजैगो विरहागि में मयंकमुखी
praan jo tajaigo virhaagi me.n maya.nkmukhii
Chintamani
चिंतामणि
और अधिकचिंतामणि
प्रान जो तजैगो विरहागि में मयंकमुखी,
प्राणघाती पापी कौन? फूली ये जुही जुही।
‘चिंतामनि’ बैन किधौं मधुको मयंक किधौं,
रजनी निगोड़ी रग रंगन चुही चुही॥
भृंगी कलगान किंधौं मदन के पाँचो बान,
दच्छिन को पौन किधौं कोकिला कुही कुही।
जौलौं परदेशी मनभावन विचार कीन्हो,
तौलौं तूती प्रगट पुकारो है तुही तुही॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (पृष्ठ 211)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : चिंतामणि
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा
- संस्करण : 1990
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