मंदाकिनी तीर रम्य सीतल समीर बहै
mandakini teer ramy sital samir bahai
रामगुलाम द्विवेदी
Ramgulam Dwivedi
मंदाकिनी तीर रम्य सीतल समीर बहै
mandakini teer ramy sital samir bahai
Ramgulam Dwivedi
रामगुलाम द्विवेदी
और अधिकरामगुलाम द्विवेदी
मंदाकिनी तीर रम्य सीतल समीर बहै,
विटप विशाल बेलि कलित वितान हैं।
केकी-कीर-कोकिल कपोत कलहंस कूजैं,
चातक चकोर चक्क सुख के निधान हैं॥
कदली कदंब आम चमर विचित्र मृग,
भालु कपि कोल करि डोलत महान हैं।
वदत 'गुलामराम' बसत सदैव राम,
चारु चित्रकूट चाहि मोहैं गीरवान हैं॥
- पुस्तक : कवित्त-रामायण (पृष्ठ 14)
- संपादक : महावीरप्रसाद मालवीय वैद्य
- रचनाकार : रामगुलाम द्विवेदी
- प्रकाशन : बेलविडियर प्रेस, प्रयाग
- संस्करण : 1924
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