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पूरी परिमल मलयाचल उरोजन की

puurii parimal malyaachal urojan kii

बलभद्र मिश्र

बलभद्र मिश्र

पूरी परिमल मलयाचल उरोजन की

बलभद्र मिश्र

और अधिकबलभद्र मिश्र

    पूरी परिमल मलयाचल उरोजन की,

    निज निरहारी है कमलपद पानिको।

    धुनि धुनि तपन है गंधफली नासिका को,

    अधिक अमोद रद कुंदकलिकानि को॥

    धूप लौं अनूप आवे बौलै तें बदनवास,

    ‘बलिभद्र’ दई तै मधुप सुखदानि को।

    सौंधे भीजी भारती गुलाब से प्रस्वेद कण,

    तेरे मुख दीपत सुगंधनकी खानि को॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 191)
    • संपादक : सुधाकर पांडेय
    • रचनाकार : बलभद्र मिश्र
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी

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