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बालक दशा की मरजाद दश बरस लों

balak dasha ki marjad dash baras lon

बनारसी दास

बनारसी दास

बालक दशा की मरजाद दश बरस लों

बनारसी दास

और अधिकबनारसी दास

    बालक दशा की मरजाद दश बरस लों,

    बीस लों बढ़ति तीस लों सुछवि रही है।

    चालीस लों चतुराई पचास लों थूलताई,

    साठ लग लोचन की दृष्टि लहलही है॥

    सत्तर लों श्रवण असी लों पुरुषत्व नित्या-

    नचे लग इंन्द्रिन की शकति उमही है।

    सौ लों चित चेत एक सौ दशोत्तर लों आयु,

    मानुष जनम ताकी पूरीधिति कही है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : बनारसीविलास (पृष्ठ 206)
    • रचनाकार : बनारसीदास
    • प्रकाशन : वीर सेवा मंदिर सरसावा सहारनपुर
    • संस्करण : 1941

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