बैठी हुँती रोस सौं री, पीले-राते-ताते नैनां
baithi hunti ros saun ri, pile rate tate nainan
गिरिधर पुरोहित
Giridhar Purohit
बैठी हुँती रोस सौं री, पीले-राते-ताते नैनां
baithi hunti ros saun ri, pile rate tate nainan
Giridhar Purohit
गिरिधर पुरोहित
और अधिकगिरिधर पुरोहित
बैठी हुँती रोस सौं री, पीले-राते-ताते नैनां,
मोहि देखि डारे दूरि कंकन कनक के।
हार हूँ कौं डार्यो, तोरि, मुख लीन्हों उत मोरि,
देखियों न जात भौंहें, टूक है धनुक के।
प्यारे गिरिधारी तेरी हाथ की संवारी माला,
छिनि-छिनि खंड कीनै तुनक-तुनक के।
बोलन बुलायै देति, बोलती न बोल क्यों हूँ,
तुनक-तुनक लेइ मनका मनक के॥
- पुस्तक : शृंगारमंजरी (पृष्ठ 94)
- रचनाकार : गिरिधर पुरोहित
- प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन
- संस्करण : 1982
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