अधर सो अधर लगाओ मति गाढ़े गही
adhar so adhar lagao mati gaDhe gahi
अधर सो अधर लगाओ मति गाढ़े गहो,
खंडित अधर देखि यहै जिय धरैंगी।
सुंदर कपोलनि में चोका परै लखि-लखि,
सखी सब ऐसी हैं जो बोली ठोली करैंगी॥
मिसु घालि तरकें सुतरकी तनीन तकि,
दरकी कँचुकि लखि सासु रोसु भरैंगी।
बातें रोम-रोम डरों तिहारे हौं पाइ परों,
हाहा करों छोड़ो जू जेठानी आइ परैंगी॥
- पुस्तक : सुंदर शृंगार (पृष्ठ 87)
- प्रकाशन : रामकृष्ण वर्म्मा
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