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तड़िता तरर त्यों इरम्मद अरर

taDita tarar tyon irammad arar

कवींद्र (उदयनाथ)

कवींद्र (उदयनाथ)

तड़िता तरर त्यों इरम्मद अरर

कवींद्र (उदयनाथ)

और अधिककवींद्र (उदयनाथ)

    तड़िता तरर त्यों इरम्मद अरर घन,

    घोर की घरर झनकारै झींगुरन की।

    पौन की लहक त्यों कदंब की महक लागी,

    दाहक दहन लैलै सीमा उरगन की॥

    भनत कबिंद्र बिन नाहये सनाह साजे,

    पटे झर घटा फेरै क्यों हूना मुरन की।

    पेरौ भटू मन को अरेरै करै आठों याम,

    टेरै बर हीन की दरेरै दादुरन की॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : षट्ऋतु हज़ारा (पृष्ठ 147)
    • संपादक : परमानंद सुहा
    • रचनाकार : कवींद्र
    • प्रकाशन : नवलकिशोर प्रेस
    • संस्करण : 1894

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