कोऊ तो कहत छवि सर में सरोज भयो
kou to kahat chhawi sar mein saroj bhayo
गोविंद गिल्लाभाई
Govind Gillabhai
कोऊ तो कहत छवि सर में सरोज भयो
kou to kahat chhawi sar mein saroj bhayo
Govind Gillabhai
गोविंद गिल्लाभाई
और अधिकगोविंद गिल्लाभाई
कोऊ तो कहत छवि सर में सरोज भयो,
सुखमा सुभग ताकी नीकी निरधार है।
कोऊ तो कहत गोल आरसी अमोल ताकी,
आभा अभिराम अति सोहे सुखकार है॥
कोऊ तौ कहत चंद अवनि में उदै भयो,
ऐसे मुख उपमा को कहत अपार है।
'गोविंद' सुकवि पर मेरे मन जानि पर्यो,
कनकलता में फूल लाग्यो आबदार है॥
- पुस्तक : कविता-कौमुदी, पहला भाग (पृष्ठ 499)
- संपादक : रामनरेश त्रिपाठी
- रचनाकार : गोविंद गिल्लाभाई
- प्रकाशन : नार्दर्न इडिया पब्लिशिग हाउस, दिल्ली
- संस्करण : 1946
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.