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युद्ध के ख़ून

yudh ke khoon

शिवमंगल सिद्धांतकर

शिवमंगल सिद्धांतकर

युद्ध के ख़ून

शिवमंगल सिद्धांतकर

और अधिकशिवमंगल सिद्धांतकर

    सत्ता के दाँतों में युद्ध के ख़ून चमकते हैं

    सिंदूर के पत्ते पीले होते जाते हैं

    हर ख़बर को ख़बरदार करते हुए

    सोचता रह जाता है समय

    समाधि और क़ब्र की कल्पना करते हुए

    इंसान को नहीं तो उसकी बनाई हुई सभ्यता

    को बचाते हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : काल नदी (पृष्ठ 71)
    • रचनाकार : शिवमंगल सिद्धांतकर
    • प्रकाशन : राग विराग प्रकाशन
    • संस्करण : 2003

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