Font by Mehr Nastaliq Web

यह याददाश्त की कमज़ोरी नहीं है

ye yadadasht ki kamzori nahin hai

ललन चतुर्वेदी

ललन चतुर्वेदी

यह याददाश्त की कमज़ोरी नहीं है

ललन चतुर्वेदी

और अधिकललन चतुर्वेदी

    याद रखने की गुंज़ाइशें दिन-ब-दिन कम होती जा रही हैं

    ग़ैरज़रूरी नंबरों की तरह लोग डिलीट किए जा रहे हैं

    जीवन और स्मृतियों से

    कल जो लोग मिले थे

    आज अपनी यादें छोड़ ग‌ए हैं

    पर हम सहेज नहीं सके इस अनमोल थाती को

    हम इस्तेमाल करो और फेंको वाली

    नव संस्कृति के अनिवार्य हिस्सा हैं

    कृतज्ञता हमारे समय में मात्र किस्सा है

    किसी की मुस्कान,

    किसी का सनेह,

    किसी का भरोसा,

    किसी के साथ बिताए अनमोल पल

    उसके विदा होते ही हम बुहार देते हैं

    अब उन्हें ही याद रखने का है चलन

    जो मरने के बाद भी हमारे काम आएँ

    उन्हीं तस्वीरों, प्रतिमाओं पर करते हैं पुष्प अर्पण

    जो पूर्ति करती हैं हमारी महत्त्वाकांक्षाएँ

    ज़रूरत हो तो मृत के भी जीवित होने की हो जाती है घोषणा

    और ज़रूरी नहीं तो जीते जी ही मार डाले जाते हैं कुछ लोग

    यह कृतघ्नता शातिराना है जिसे जानबूझकर

    समकालीन वैद्यों ने याददाश्त की कमज़ोरी करार दिया है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : ललन चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए