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यह उस रात की कहानी है

ye us raat ki kahani hai

प्रदीप अवस्थी

प्रदीप अवस्थी

यह उस रात की कहानी है

प्रदीप अवस्थी

और अधिकप्रदीप अवस्थी

     

    एक

    सारे रास्ते मेरे दरवाज़े पर आकर
    बंद होते थे
    मेरे दरवाज़े से कोई रास्ता
    बाहर नहीं निकलता था
    मतिभ्रमों का मायाजाल था
    और
    मैं था

    दो

    इतना आराम है यहाँ
    कहीं पहुँचने की कोई होड़ नहीं
    जी लिया जैसा भी जिया

    मैंने जीवन नहीं
    जीवन का स्थगन जिया

    तीन

    एक बार रात बारह बजे के आस-पास
    मैं अपने एक दोस्त के घर से
    दूसरे दोस्त के घर तक
    जाने वाली सड़क के चक्कर काटता रहा
    असहाय क्षणों में सड़कें ही मेरा सहारा बनीं

    चार

    इतनी शुभकामनाएँ भेजी लोगों ने
    माँ ने दिया आशीर्वाद
    ख़ुश रहने का हर बार
    असर नहीं किसी का

    पाँच

    मैं जीतता तो वे दयनीय
    मैं हारता तो वे दुश्मन
    मुझे चैन चाहिए।

    छह

    यह एक समर्थ जीवन हो सकता था
    नहीं हुआ
    मुझे हम सबसे सहानुभूति है
    और प्यार की कोई इच्छा नहीं

    सात

    हम कितने खेतों में आग लगाएँ
    कितने सपनों की फ़सल जलाएँ
    कितना काला धुआँ फैलाएँ
    इश्क़ के आसमान में
    अब मैं ख़ुद को तैयार करता हूँ
    एक नए शाप के लिए

    आठ

    अनंत और अचिह्नित दरारों से भरा हुआ
    अदृश्य दीवारों से टकराकर लौटते हुए
    ख़ुद को चोटिल करता
    हज़ारों किलो लोहे का भार ढोए
    दर्द में अंदर-अंदर भिंचता, सिकुड़ता
    और लगातार हारता
    भयावह डरों का इलाज ढूँढ़ता
    पृथ्वी के सबसे गहरे समुंदर के
    तल में जाकर बैठ गया
    मेरा दिमाग़

    करोड़ों तार भीतर उलझ गए हों
    इतनी उलझन थी

    नौ

    लेकिन मैं कूदा नहीं
    खिड़की के बजाय दरवाज़ा चुना
    एक बार फिर

    यह उस रात की कहानी है
    जब मैं चौथी मंज़िल की बालकनी पर
    टहलता रहा बहुत देर
    और यह सच था
    कि मुझे उकसाया गया था बहुत

    दस

    सुबह वे लोग आए
    पूछते रहे कैसे हो

    मैं चुप मुस्कुराता रहा

    ग्यारह

    डर बचे रहे
    हर संभावित त्रासदी के
    संभावना बची रही
    सुंदरताओं के फैलने की
    जीवन बचा रहा
    जब तक जिस्म में फँसे
    मशीनों की तरह चलते उपकरण
    साँस लेते रहे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रदीप अवस्थी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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