ये मेरा कौन सा रूप था छुपा हुआ
ye mera kaun sa roop tha chhupa hua
मनोज कुमार पांडेय
Manoj Kumar Pandey
ये मेरा कौन सा रूप था छुपा हुआ
ye mera kaun sa roop tha chhupa hua
Manoj Kumar Pandey
मनोज कुमार पांडेय
और अधिकमनोज कुमार पांडेय
प्यार में हूँ तो बहुतों का प्यार याद आता है
रोता हूँ
तो बहुतों के आँसू याद आते हैं
प्यार में होना एक और दुनिया में होना है
चलता हूँ तो बहुतों के साथ चलता हूँ
अपने अकेलेपन को खोता हुआ
तड़पता हूँ तो बहुतों की तड़प याद आती है
मेरी उनकी तड़पों के बीच ये रिश्ता कब बना
ये मेरा कौन सा रूप था छुपा हुआ
मेरे भीतर जो दिखा दिया तूने
- रचनाकार : मनोज कुमार पांडेय
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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