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ये

ye

दफ़ैरून

और अधिकदफ़ैरून

    जो रहे

    त्याज्य और अछूत

    जो बैठे रहे

    घर की चौखट पर

    बल्कि चौखट से नीचे ही

    दोनों हाथ जोड़े

    उन्होंने हमें तारा

    भयानक आपदाओं से

    भयानक आपदाओं से

    जैसे जलते रेगिस्तानों से

    पथरीले और

    कीचड़ भरे रास्तों से

    सोचता हूँ मैं

    और सिहर जाता हूँ

    होती क्या दुर्दशा

    कि अगर नहीं होते ये?

    स्रोत :
    • पुस्तक : पेड़ अकेला नहीं कटता (पृष्ठ 42)
    • रचनाकार : दफ़ैरून
    • प्रकाशन : रामकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2001

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