यह अँधेरा कुछ अलग तरह का है
ye andhera kuch alag tarah ka hai
इस अँधेरे में एक चंद्रमा है
यह अँधेरा कुछ अलग-सा है
अँधेरा यह ज्योत्स्नाओं से बुना हुआ है।
यह अँधेरा अद्भुत अनुपम है
पतझर-से इस अँधेरे का सघन जंगल
इस अँधेरे में ज़रा महकता-सा वसंत है।
- रचनाकार : त्रिभुवन
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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