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याददाश्त

yadadasht

मिथिलेश प्रियदर्शी

और अधिकमिथिलेश प्रियदर्शी

    हम बित्ते भर की याददाश्त वाले लोग थे

    हमने नन्हीं बच्चियों के बलात्कारियों को अपने साथ फ़ुटबॉल खेलने बुलाया

    दौड़कर उन्हें गेंदे पास की

    दो दिन में ख़ुद मर जाने वाले बुज़ुर्गों के शौक़िया हत्यारों को

    हमने लतीफ़े सुनाकर हँसाया

    हम कुत्ते के पेशाब से भीगी स्मृतियों वाले लोग थे

    सब कुछ लूटकर ले जाने वालों को हमने

    मोटरसाइकिल पर बिठाकर बीच रात शहर की सीमा के पार पहुँचाया

    रास्ते में खाने के लिए रोटियाँ दी

    बचे रह गए उनके बँधु-बाँधवों की हिफ़ाज़त का भरोसा दिया

    हमारा अमाशय दुनिया के सभी जीव-जंतुओं से शक्तिशाली था

    हमने दुनिया भर के झूठ पचाए

    हत्याएँ पचाईं

    हम अपने क़ातिलों से संभोग करवाने के आदी थे

    हमने अपनी कमर उचकाकर उनको लय दी

    झूठे सीत्कार से उनका स्खलन करवाया

    उनके साथ कोरस गाए

    उनके औज़ारों पर लगा ख़ून धोया

    उन पर सान चढ़ाई

    और एक दिन जब हमें गैस चैंबरों में बुलाया गया

    हम बाक़ियों को सहयोग करने का स्वयंसेवी अनुशासन सिखाते हुए

    क़तार से गए।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मिथिलेश प्रियदर्शी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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