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मालिक आपकी चाय तैयार है

malik apaki chay taiyar hai

विष्णु नागर

विष्णु नागर

मालिक आपकी चाय तैयार है

विष्णु नागर

एक स्त्री आईने में अपने को देखती है

और पति से पूछती है

मैं सुंदर हूँ

पति कहता है—'हाँ सुंदर हो

बहुत सुंदर,

प्लीज अब ज़रा चाय तो बना दो न'

'नहीं पहले ठीक से कहो मैं सुंदर हूँ

तब चाय बनाऊँगी'

पति कहता है—

'कहा सुंदर हो, बहुत सुंदर

जाओ प्लीज अब चाय बना दो'

स्त्री अभिमानी कहती है—

'नहीं तुमने अभी मन से कहाँ कहा

मन से कहो तो बनाएँगे

वरना कहे देते हैं क़तई नहीं बनाएँगे

हमारे पति की आज की चाय की छुट्टी हो जाएगी'

पति ने इसका कोई जवाब नहीं दिया

वह रोकती रही, लेकिन पति चला गया

रास्ते में पति ने सोचा है

कि क्या वाक़ई मेरी पत्नी सुंदर है

वह किसी से पूछने में शरमाया

उसने पेड़ से पूछा तो कोई जवाब नहीं आया

एक पत्ता तक नहीं हिला

ख़ुद पत्नी का चेहरा याद किया

तो कुछ समझ में नहीं आया

उसने आसमान से पूछा तो वह ज़रा-सा मुस्कुराया

उसने शाम को आकर पत्नी से कहा—

'हाँ वाक़ई तुम सुंदर हो'

पत्नी ने जवाब दिया—

'मालिक आपकी चाय तैयार है।'

स्रोत :
  • रचनाकार : विष्णु नागर
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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