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वयस में छोटा प्रेयस

wayas mein chhota preyas

रश्मि भारद्वाज

रश्मि भारद्वाज

वयस में छोटा प्रेयस

रश्मि भारद्वाज

और अधिकरश्मि भारद्वाज

    वह कस कर जकड़ता है उसे अपने बाज़ुओं में

    और चाहता है कि प्रेयसी की देह पर छूट गए अनगिनत नील निशानों को

    आने वाले दिनों के लिए सहेज लिया जाए

    जब शेष हो अनुपस्थिति की नमी

    उसके आतुर होंठ नींद में भी तलाशते रहते हैं

    प्रेयसी के अनावृत वक्ष

    उसके पास एक शिशु की भूख है

    और एक प्रेमी की तलब

    जो असीम गहराइयों में उतर कर भी

    प्यास से भरा रहता है

    वह नींद में भी सुनना चाहता है उसकी साँसें

    और प्रेयसी के सपनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कर देना चाहता है

    जागते ही उसे ऐसे टटोलता है

    जैसे खो दिया हो कहीं

    अंतिम प्रहर की बची हुई नींद में,

    सुबह की पहली किरण के उजाले में

    आतुरता से खोजता है अपना अक्स

    उसकी आँखों के फैले काजल में

    वयस में आठ साल छोटा वह प्रेयस

    अपनी प्रेमिका की देह पर हर कहीं अंकित हो जाने के बाद भी

    उसके मन में अपनी उपस्थिति को लेकर

    संशय में है

    वह मरुभूमि में

    पानी की फ़सल बोना चाहता है

    हौले से कानों में पूछता रहता है

    गहरी बारिशों के दौरान भी

    तुम तृप्त तो हुईं न!

    स्रोत :
    • रचनाकार : रश्मि भारद्वाज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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