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वसंत में

wasant mein

अमन त्रिपाठी

अमन त्रिपाठी

वसंत में

अमन त्रिपाठी

वसंत में

जब कोई आएगा

तो अपने साथ

वसंत को भी लाएगा

वसंत आएगा पुनर्परिभाषित करता ख़ुद को

कभी नदी की तरह

कभी सरसों के खेत की तरह फूल की तरह

कभी वसंत के आने पर कोई

सुदीर्घ मृत्यु पूर्ण हो जाएगी

कभी किसी को वसंत की गंध में आएगी

ज़िंदा चमड़े के जलने की गंध

तब बुलबुलें भी आएँगी और उड़ जाएँगी

कौवे आएँगे और देर तक बैठे रहेंगे

कौवों को हम कौतूहल से देखेंगे

उनके बोलने को आगंतुक की सूचना मानकर

किसी के आने का इंतज़ार करते रहेंगे

एक पुराना दरवाज़ा खुलेगा और सामने दिखेगा

एक लंबे परिवार का विघटन

और नहीं दिखेगा एक मज़बूत रेशा वसंत की तरह

बुलबुलें आएँगी और उड़ जाएँगी

दुपहरों में बारिश होगी और बरसात में धूल उड़ेगी

वसंत आएगा ख़ुद को पुनर्परिभाषित करता हुआ

कभी धूल की तरह

कभी आगंतुक की प्रतीक्षा की तरह

कभी स्मृति की तरह

स्रोत :
  • रचनाकार : अमन त्रिपाठी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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