पहली बार उसे देखा
पहली बार की तरह
जैसे हवा में दिन उगा हो
पहली बार की तरह।
पहली बार मैंने महसूस किया
श्वेत बादलों की पदचाप को।
पतली-सी धूप मुँडेर से टकराई
और पहली बार की तरह
आँगन में बिखर गई।
पहली बार खिले अमलतास के फूल
पहली बार किसी ने छेड़ा सितार
खिल उठी निशा
गूँज उठा विहाग।
अरहर के पीले फूल
नीले आसमान पर
सिंधी की कढ़ाई जैसे
हल्की-सी बदली
जेठ की दुपहरी में
छाँव की भरपाई जैसे
अचानक छूकर गुज़री
किसी की साँसों की मलयवाही सरसराहट
और ज़ाफ़रानी सुबह से झाँकते हुए
पहली बार मैंने महसूस किया
वसंत का आगमन।
- रचनाकार : पंकज प्रखर
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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