कौन मुझको युद्ध को ललकारता है
kaun mujhko yudh ko lalkarta hai
कृष्ण मुरारी पहारिया
Krishna Murari Pahariya
कौन मुझको युद्ध को ललकारता है
kaun mujhko yudh ko lalkarta hai
Krishna Murari Pahariya
कृष्ण मुरारी पहारिया
और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया
कौन मुझको युद्ध को ललकारता है
तुम अबल का बल नहीं अनुमान सकते
मौन मन की तुम न क्षमता जान सकते
दृष्टि भी तुमको नहीं ऐसी मिली जो
तुम घृणा के अस्त्र को पहचान सकते
देखना है, कौन रण में हारता है
वार तुम करते रहोगे मीत मेरे
और मैं बैठा रहूँगा आँख फेरे
एक क्षण जब तुम थकोगे, मैं उठूँगा
हार के तुमको रहेंगे भाव घेरे
अंत में तो सत्य बाज़ी मारता है
- पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 32)
- रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
- प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
- संस्करण : 1998
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