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वहाँ कोई न था

wahan koi na tha

डॉ. अजित

डॉ. अजित

वहाँ कोई न था

डॉ. अजित

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    वहाँ कोई किसी के लिए नहीं था

    जो जिसके लिए था उसी के लिए नहीं था

    ऐसा भी नहीं था वहाँ हर कोई अपने लिए था

    वहाँ जो जिसे सोचता वो उसके लिए नहीं था

    जब कोई किसी के लिए नहीं था

    फिर वहाँ किसलिए था

    इस सवाल की पड़ताल के लिए

    धरती पर बदलना पड़ता था अपना ध्रुव

    उत्तर दक्षिण नहीं

    पूरब पश्चिम भी नहीं

    तब अपने ही ग्रह की यात्रा करनी पड़ती थी

    स्पेस शटल में बैठकर

    दिशा का मानचित्र बनाते हुए

    ज़ख़्मी हो जाते थे हाथ

    तोड़नी पड़ती थी

    अपने की गुरुत्वाकर्षण के केंद्र की समय-रेखा

    वहाँ इतनी जल्दी बदल जाती थी

    मनुष्य की मनुष्य में रुचि

    जितनी देर में बदल जाती है

    छाँव धूप में

    मन के भू-गर्भ में जमा थे संतृप्त ज्वालामुखी

    जंगलों की जड़े टुकड़ों में टूटकर बह रही थी

    धरती के अंदर बहती नदियों का कोई सागर नहीं था

    उनके व्यवहार को समझा जाता था समलैंगिक

    ऐसे अस्त-व्यस्त समय में

    देह की यात्रा कहीं नहीं पहुँचती थी

    मन की कोई यात्रा ही नहीं थी

    वो जन्म से ही नपुंसक लिंग में बात करने का आदी था

    अपनत्व का घास जमी थी

    जिसकी कतर-ब्योंत करने की ज़िम्मेदारी

    जिस माली पर थी

    वो भूल गया था सारी स्मृतियाँ

    उसका कौशल छोटा बड़ा देख नहीं पाता था

    उसे निकट दृष्टिदोष था

    वहाँ संगीत के नाम पर

    कुछ ध्वनियाँ बची थी

    जिसे सुन कोई रोता नहीं था

    कुछ लोग हँसते तो कुछ केवल मुस्कुराते थे

    ऐसी अकेली दुनिया में

    सब अर्थ भावार्थ और शब्दार्थ के ग़ुलाम थे

    विरोधाभास एक निपुणता थी वहाँ

    पुरुषों के वीर्य में शहद की गंध थी

    और असल का शहद मधुमक्खियों का थूक भी नहीं था

    उनके श्रम का एक ही हिंसात्मक उपयोग बचा था

    जिसे कूटनीति भी कहा जा सकता था

    अतीत में डूबे गाँव

    वर्तमान से भागते शहर

    भविष्य के नशे में डूबे क़स्बे थे वहाँ

    वहाँ आदमी अपनी आदमीयत के पुरस्कार पर ज़िंदा था

    प्रेम वहाँ का सबसे सतही विषय था

    जिस पर प्रत्येक नागरिक लिख सकता था कविता

    दे सकता था उपदेश

    संयोग मैं उसी ग्रह का नागरिक था

    निर्वासन पर मैंने किए तमाम दुष्प्रचार अपने ही ग्रह के बारे में

    बस इसलिए आज भी वहाँ के लोग याद करते हैं मुझे

    एक तिरोहित भरे सम्मान के साथ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : डॉ. अजित
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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