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विकल्प

vikalp

अनुवाद : सुनीता डागा

सुचिता खल्लाळ

और अधिकसुचिता खल्लाळ

    हाथों की पाँचों उँगलियों को एकमुश्त कर

    आगे बढ़ाते हुए कहा आपने

    चुनो इनमें से किसी एक को

    तब नहीं चुना मैंने किसी को भी

    मसलन आपने दी चुनाव की स्वतंत्रता

    या नहीं है मुझमें चुनने का शऊर

    ऐसा नहीं है

    वैसे तो आसमान-मिट्टी-धूप-हवा इनमें से भी

    कहाँ चुना था मैंने किसी को भी

    पहले से ही फैला हुआ था यह फैलारा

    इसका अर्थ वह मेरे लिए ही था ऐसा तो नहीं

    आप खड़ा कर दोगे हुबहू ऐसा ही कोई अन्य शहर मेरे लिए

    या सामने रख दोगे इससे भी सुंदर दूसरा संसार

    यह भी कोरा दंभ

    विकल्प निर्माण करने का या अच्छे से अच्छा चुनने का

    वैसे तो किसे नहीं होता है हक़

    या नहीं होती है कोई अनुमति

    पूर्व-नियोजित होती है—

    हमारी भूख

    हमारी रोटी

    हमारा वर्तुल

    हमारी परिधि

    हमारा अंतरिक्ष

    हमारी गति

    हमारा नर्क

    हमारा मोक्ष

    किसी भी हस्तक्षेप के बिना

    किसी को लगता है हमने दिया विकल्प

    या

    किसी को लगता है कि चुना है हमने

    यह तो है

    शुद्ध

    भ्रम

    मात्र…

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : सुचिता खल्लाळ
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

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