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वधू

vadhu

चिरंजीवि

और अधिकचिरंजीवि

    प्रणय मधु-वधू-अपने पति के घर चल पड़ी

    आँगन में चमेली की कलियाँ

    मौलिश्री के पुष्पों और सुन्दर चौक पूरनो के

    परिचयवश विदाई के गीत गा रही थी

    अटूट ममता तोड़ नहीं पाती

    लड़खड़ाती हुई आगे क़दम नहीं बढ़ा पाती

    व्यथित होने वाली माता की गोद में अपना मुँह छिपाकर

    आँसुओं की झड़ी बहाने लगी

    अड़ोस-पड़ोस की सखियों ने यह कहकर—

    हमें विस्मृत करना नहीं—

    चुटकुले छोड़े और बार-बार अपनी ममता जताई

    लाड़-प्यार किया

    काकी ने आशीर्वाद दिया है कि

    अपनी गृहस्थी को सँभाल लेना।

    चाची ने प्रेमभरे शब्दों में आशीर्वाद दिया

    पुत्रवती भव! एक वृद्धा सौभाग्यवती स्त्री

    जब उसके चरणों में महावर लगा रही थी

    तब उसके कज्जल-पूर्ण नयनों से अश्रु टपक पड़े

    सखियों ने गद्गद् वाणी में कहा,

    हे कल्याणि!—पति के यहाँ जाओ—

    उनके नेत्र अश्रु-सिक्त थे

    मंदिर की घंटियों की क्षुद्र टनटनाहट—

    बैलों की क्षुद्रघटिकाओं की रुन-झुन

    श्रावण मेघ के समान मदगति से

    गाड़ी आगे बढ़ी

    रजत पर्वत के चन्द्रमा के समान

    गाड़ी शहर के मोड़ पर मुड़ी

    उसका प्यारा गृह

    धीरे-धीरे दूर होता गया

    तड़ाग के तीर पर का मार्ग छोड़कर

    ताल वन को भी पार करके गाड़ी आगे बढ़ी

    धीरे-धीरे उसका ग्राम और दिन भी आँखों से ढलते गए

    मद समीर हँस पड़ा

    शरीर रोमांचित हुआ

    पति का रूप हृदय में प्रतिभासित

    ओंठों पर बिजली की छोटी रेखा

    तिरछी चितवन वाली दुलहन

    पति के यहाँ चल पड़ी।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 385)
    • रचनाकार : चिरंजीवि
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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