Font by Mehr Nastaliq Web

ऊ हँसी-खुसी आपन जीवन

uu hansi khusi aapan jivan

अनुज नागेंद्र

अनुज नागेंद्र

ऊ हँसी-खुसी आपन जीवन

अनुज नागेंद्र

और अधिकअनुज नागेंद्र

    हँसी-खुसी आपन जीवन अब जियइव मा असमर्थ अहय।

    जे सिच्छक बना तदर्थ अहय।

    पहिले तौ पढ़इन लिखइन मा वोहकै जीवन अधियाइ गवा।

    यम्मे बीएड तक पहुँचय मा गोइंडे कै खेत बिकाइ गवा।

    नौकरी बरे दौड़त भागत फिर तरुआ तलुक खियाइ गवा।

    हर गली खाक छानत-छानत जियरा एकदम उबियाइ गवा।

    वोहका अस लागय कबौ-कबौ जइसे जिंदगियइ ब्यर्थ अहय।

    जे सिच्छक बना तदर्थ अहय।

    पहिले तौ चमचागीरी मा, दुइ चार साल बरबाद करय।

    कुछ किरपा कै आगाह मिलय तौ ओनसे मिलि फरियाद करय।

    फिर भाय नियुक्ती मिलत मिलत, अपने पुरखन का याद करय।

    मुल आखिर तक समझि जाइ, दुनिया मा सबकुछ अर्थ अहय।

    जे सिच्छक बना तदर्थ अहय।

    फिर कोर्ट कचहरी मू दौड़य तौ अधिवक्तय निकियाइ

    लेंय।

    सब हांड मास अनुमोदन मा बाबू-अधिकारी खाइ लेंय।

    फिर कहयँ कि तोहरे पद कै तौ पहिलेन अधियाचन भेजा बा।

    कुछ उप्पर चढ़े चढ़ावा मुल, बिगड़े ना काम सहेजा बा।

    सुनतै अन्धराइ जाइ, अब तनिकउ कहाँ समर्थ अहय।

    जे सिच्छक बना तदर्थ अहय।

    एहमूं सरबस खोइ-खंदरि, जौ यहि भारे मा झोंकि देय।

    ओहमूं आयोग नियुक्ती कइ, फिर एहकै बेतन रोंकि देय।

    धोबी कै कूकुर बनिके ऊ, चारिउ मूं दौड़ा फिरा करय।

    केहु सुनय, सूझय ऊँच-नीच सबके गोड़े पै गिरा करय।

    भगवान बचावा तुहीं तनी अब बहुतै होत अनर्थ अहय।

    जे सिच्छक बना तदर्थ अहय।

    जे बीस बरिस से जादा से सिच्छा कै अलख जगावत बा।

    सरकारी बेतन लेत अहय डटिके जे रोज पढ़ावत बा।

    आखिर भाय बुढ़ौती मा अब तुहीँ बतावा जाय कहाँ।

    दइ दिहिस जवानी तोहका तौ यहि पन मा माँगय खाय कहाँ।

    सुपरीम कोट मू टुकुर-टुकुर ताकत बनिके असमर्थ अहय।

    जे सिच्छक बना तदर्थ अहय।

    जेकरी हड्डी पै चढ़ि के दिन राति कबड्डी खेलति बा।

    सरकार निकम्मी ओनहीं का नाजायज कहि के ठेलति बा।

    हर बार इलेक्शन मतगणना ये नहीं सब मरि के करा करयँ।

    बनि जायँ विधायक एमएलसी तौ एनहीं का अधमरा करयँ।

    छल कपट ग्रस्त यहि जीवन कै, अब तुहीं कहा का अर्थ अहय।

    जे सिच्छक बना तदर्थ अहय।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुज नागेंद्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए