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उसका मन

uska man

प्रभात त्रिपाठी

और अधिकप्रभात त्रिपाठी

    उसकी आँखों में

    उसका मन था

    और अधरों पर

    उसकी हथेलियों में

    उसका मन था

    और पिंडलियों में

    उसके स्तनों में

    उसका मन था

    और भुजपाश में

    आकाश में

    कातर उसकी पुकार

    बिस्तर पर

    कामना-सी सुगबुगाई

    और बिला गई

    एक अजनबी समय में

    ठिठुर गया उसका सुख

    ठंड की रात के अँधेरे में

    आख़िरकार

    उसका प्यार चला गया

    भुजपाश से दूर

    आकाश के विस्तार में

    निहारने अपना अकेलापन

    उसका मन

    छूट गया

    शरीर से बाहर

    किसी अजनबी आकार में

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रभात त्रिपाठी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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