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उन्हें बस इसी बात की पीड़ा है

unhen bus isi baat ki piDa hai

केशव शरण

केशव शरण

उन्हें बस इसी बात की पीड़ा है

केशव शरण

और अधिककेशव शरण

    वे अपने चारों तरफ़

    घोर दरिद्रता के बीच

    भारत में रहते हैं

    उन्हें बस इसी बात की पीड़ा है

    इसी बात की शर्म

    अन्यथा

    हर तरह से

    ख़ुश हैं वे

    और करते हैं गर्व

    कि कितना अच्छा खाते हैं

    कितना अच्छा पहनते हैं

    कितनी अच्छी कार में घूमते हैं

    और दूर तक घिरी चहारदीवारी के अंदर

    कितनी बड़ी इमारत में रहते हैं

    उन्हें बस इसी बात की पीड़ा है

    वे अपने चारों तरफ़

    घोर दरिद्रता के बीच

    भारत में रहते हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : साक्षात्कार 273 (पृष्ठ 92)
    • संपादक : भगवत रावत
    • रचनाकार : केशव शरण

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