तुमको केवल हँस लेने का चाव है
tumko kewal hans lene ka chaw hai
कृष्ण मुरारी पहारिया
Krishna Murari Pahariya
तुमको केवल हँस लेने का चाव है
tumko kewal hans lene ka chaw hai
Krishna Murari Pahariya
कृष्ण मुरारी पहारिया
और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया
तुमको केवल हँस लेने का चाव है
तुम क्या समझोगे, कैसा यह घाव है?
जाने कितनी गाढ़ी-गाढ़ी वेदना
पी लेने पर आता है ऐसा नशा
कवि अपने अंतर की आँखें खोलकर
गाता है गीतों में युग-युग की दशा
कहते हो, कविता तो मन बहलाव है
क्षण दो क्षण की ओछी टुच्ची साधना
करके कोई होता, बोलो, सिद्ध कब
ऐसा भी दिन आ जाता है हार का
ढहता है तन होकर श्रम से वृद्ध जब
यह तो सारे जीवन का भटकाव है
- पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 50)
- रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
- प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
- संस्करण : 1998
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