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तुम्हें ढूँढ़ते हुए

tumhein DhunDhate hue

हब्बा ख़ातून

हब्बा ख़ातून

तुम्हें ढूँढ़ते हुए

हब्बा ख़ातून

और अधिकहब्बा ख़ातून

    बल खाती बहती नदियों के मुहाने तक जाऊँगी मैं

    तुम्हें ढूँढ़ते हुए

    विनती-अरदास करती यहाँ-वहाँ डोलूँगी मैं

    तुम्हें ढूँढ़ते हुए

    ढूँढूँगी मैं तुम्हें चैंबेली की कुंजों में,

    मत कहो, दुबारा अब मिलना नहीं होगा।

    पीले गुलाब के झाड़ों पर फूल मुस्कुरा रहे

    मेरी भी कलियाँ फूल बनने को कसमसा रहीं,

    दरसन की प्यासी इन अँखियों को

    और तरसाओ—

    मत कहो, दुबारा अब मिलना नहीं होगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : हब्बा ख़ातून और अरणिमाल के गीत-गान (पृष्ठ 16)
    • रचनाकार : हब्बा ख़ातून
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

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