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तुम मेरे उज्ज्वल सविता

tum mere ujjwal sawita

अनुवाद : श्रीवत्स करशर्मा

चक्रधर राउत

चक्रधर राउत

तुम मेरे उज्ज्वल सविता

चक्रधर राउत

और अधिकचक्रधर राउत

    तुम्हारी याद आज आती है, सुनसान निःसंग बेला में

    आकाश की नीलिमा में, चाँद जब छिप जाता!

    फागुन का फूल-वास, मन को चंचल करता,

    तुम्हारी ममता जब, मरुपथ पर फूल हो झड़ता!

    तुम्हारी याद आती है, अबोध मन का आकाश

    विषाद बादल से जब यकायक छा जाता

    प्राण की पंखुड़ियाँ मेरी, असमय जब झड़ती,

    प्रीति का झरना तुम्हारा, कलनाद से झरझर जाता!

    तुम्हारी स्नेह-स्निग्ध, ममता की सुमधुर वाणी,

    बहा देती मेरे अंतर में, सुशीतल प्रेम-फल्गु-झर

    खिल उठता यह जीवन, सुरभित पूर्णता फूलों से

    भर जाती अंतर खेत में, आशातीत आशा की फसल!!

    तुम मेरी जीवन ज्योति स्वप्नमयी विमुग्ध कविता

    जीवन यात्रा पथ पर तुम मेरी उज्ज्वल सविता!

    स्रोत :
    • पुस्तक : मेघमुक्त मन की कविता (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : चंद्रधर राउत
    • प्रकाशन : दयानिधि राउत, प्राणीमगंल समिति, भुवनेश्वर
    • संस्करण : 2000

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