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तुम और मैं जब साथ हो

tum aur main jab saath ho

पल्लवी मंडल

पल्लवी मंडल

तुम और मैं जब साथ हो

पल्लवी मंडल

और अधिकपल्लवी मंडल

    तुम और मैं जब साथ हो

    ना निकलें सूरज और कभी रात हो

    ज़िंदगी चले साथ जैसे शुरुआत हो...!

    मिले तुमसे तो इस तरह मिले

    फिर कभी बिछड़ने की बात हो...!

    ज़िंदगी बीत जाए तेरी बाँहों में

    हमें किसी बड़े से महल की आस हो...!

    बस तुम्हारा प्रेम मिलता रहे

    और यूँ ही कविताओं की बरसात हो...!

    हर रंग लगे फ़िजाओं की सुंदर

    प्रेम में रहते हुए करें शिद्दत से प्रेम पर बात

    बस इस तरह का हमारे प्रेम से

    उदाहरण प्राप्त हो...!

    प्रेम सबसे कठिन है...तुम्हें लगे वो सरल

    सहजता का ऐसा अनुभव हमारे साथ हो...!

    समझना तुम कुछ इस कदर, कोई भी

    समझे तो भी इसका हमें आभास हो

    करना तुम प्रेम में पड़े हर उस व्यक्ति की कदर

    वो रहे ख़ुश हरदम ये जीवन के सिलसिलाओं का

    सुंदर स्मृति से चित्र ऐसा हमारे साथ

    इस प्रकार हो...!!

    स्रोत :
    • रचनाकार : पल्लवी मंडल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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