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चिड़ियाघर में ज़ेब्रा की मौत

chiड़iyaghar mein zebra ki maut

अनुज लुगुन

अनुज लुगुन

चिड़ियाघर में ज़ेब्रा की मौत

अनुज लुगुन

और अधिकअनुज लुगुन

    चिड़ियाघर में ज़ेब्रा की मौत पर

    रोने के लिए कोई और नहीं था

    सिवाय उसके एक और साथी ज़ेब्रा के

    जिसे रखा गया था उसके साथ

    केवल प्रजनन के उद्देश्य से

    वह डर कर दुबका हुआ था एक कोने में

    भयानक अकेलेपन और अजनबीपन में

    उसकी आँखें देख रही थीं फ़्लैशबैक में वह दृश्य

    जब वह झुंड के झुंड अपने दल के साथ

    दिन भर चौकड़ी भरा करता था

    जहाँ चरने के लिए खुला मैदान था

    प्यास मिटाने के लिए उन्मुक्त नदी थी

    और एक जंगल था आत्मिक विश्रांति के लिए

    अब कुछ भी नहीं रह गया

    उनके हिस्से के लिए

    उनका हिस्सा भी नहीं रहा

    वह जो कभी उनका पूरा होता था

    अगर यह सब होता तो शायद

    यह होता जो आज हुआ

    अगर होता भी समय के चक्र में

    तो ऐसा होता जो आज हुआ

    आज होता सामूहिक शोक

    सारा गाँव आख़िरी बार फिर उसके साथ होता

    उसके सम्मान में होता एक आख़िरी गीत

    कोई उसे उसकी ज़िद से आख़िरी बार पहचानता

    कोई उसकी नृत्य शैली से

    कोई कहता करम नाचने में उसका कोई जोड़ नहीं था

    तो कोई उसे उसके पुरखों के इतिहास से पहचानता

    यहाँ जुटी भीड़ उसे नहीं पहचानती है

    और ही वह उसके साथी के लिए

    शोक गीत में शामिल होगी

    यह भीड़ केवल तब तक बेचैन है

    जब तक कि वह उसकी तस्वीर ले ले

    मेरा दुःख ज़ेब्रा की मौत से है

    और डर चिड़ियाघर से

    चिड़ियाघर की ज़मीन फ़ैल रही है और दीवार ऊँची

    पिंजरों की संख्या बढ़ाई जा रही है

    और वहाँ जंगल में

    आदिम जनसंख्या उसके लिए तैयार की जा रही है

    म्यूज़ियम में उसके ख़ाल, हड्डियाँ

    वाद्य यंत्र, भाषा और उसके गीत सुरक्षित किए जा रहे हैं

    चिड़ियाघर में ज़ेब्रा की मौत

    केवल ज़ेब्रा की मौत नहीं

    हमारी संभावित आगामी मौत है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुज लुगुन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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