अभी खूँटी में टाँगकर रख दो माँदल
abhi khunti mein tangakar rakh do mandal
निर्मला पुतुल
Nirmala Putul
अभी खूँटी में टाँगकर रख दो माँदल
abhi khunti mein tangakar rakh do mandal
Nirmala Putul
निर्मला पुतुल
और अधिकनिर्मला पुतुल
ऐ मीता!
मत बजाओ
जब-तब बाँसुरी
कह दो अपने संगी-साथी से
बजाए नहीं असमय ढोल माँदल
रसोई में भात पकाते
थिरकने लगते हैं मेरे पाँव
मन उड़ियाने लगता है
रूई के फाहे-सा दसों दिस
अभी बहुत सारा काम पड़ा है
घर-गृहस्थी का
गाय गोहाल के गोबर में फँसी है
लानी है जंगल से लकड़ियाँ भी
घड़ा लेकर जाना है पानी लाने झरने पर
और पहुँचाना है खेत पर बापू को कलेवा
देखो सब कुछ गड़बड़ हो जाएगा
सुननी पड़ेगी माँ से डाँट
इसलिए मेरा कहा मानो
अभी रख दो छप्पर में खोंसकर बाँसुरी
टाँग दो खूँटी पर माँदल
और लाओ अपनी कला
अँचरा में बाँधकर रख लूँ मैं
लौटा दूँगी वापस बँधना में
तब जी भरके बजाना
मैं भी मन-भर नाचूँगी संग तुम्हारे
तब तक के लिए लाओ
तुम्हारी कला
अँचरा में बाँधकर रख लूँ मैं!
- पुस्तक : नगाड़े की तरह बजते शब्द (पृष्ठ 78)
- रचनाकार : निर्मला पुतुल
- प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
- संस्करण : 2005
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