Font by Mehr Nastaliq Web

कोरोना काल में

korona kal mein

विनोद विट्ठल

विनोद विट्ठल

कोरोना काल में

विनोद विट्ठल

और अधिकविनोद विट्ठल

     

    एक

    बताया नहीं जा सकता
    कब हुआ
    कैसे हुआ
    किस छुअन से
    किस साँस से

    प्रेम से
    कितना मिलता-जुलता है यह!

    दो

    कितने ही लोग हैं
    जो हज़ारों साल से चल रहे हैं क्वारंटीन

    किसी स्पर्श के इंतज़ार में
    आख़िरी हग और चुंबन के इंतज़ार में

    बराबर बँटी दुनिया के इंतज़ार में!

    तीन

    क्या कहूँ इसे
    फ़िल्म की तरह वह लड़की मिली 
    आख़िरी दृश्य में

    कोरोना की तरह
    ज़िंदगी में आई लड़की
    फिर मिली उस दिन
    जिस दिन सबसे ज़्यादा 
    कोरोना के पेशेंट दर्ज हुए थे 
    इस फ़ानी दुनिया में!

    चार

    दो हिस्सों में बाँटूँगा दुनिया
    कोरोना से पहले और बाद की

    कितनी-कितनी चीज़ें आईं
    और फैलती चली गईं
    इसके संक्रमण की तरह :
    हिंसा, लालच, घृणा, ईर्ष्या

    लेकिन प्रेम भी तो आया था इसी तरह
    चुपचाप, बेआवाज़

    और अभी तक दुनिया संक्रमित भी है इससे!

    पाँच

    तजुर्बेकार कह रहे हैं :
    कई-कई महामारियों और प्रलयों से बचा है मनुष्य

    इस बार भी बचेगा

    कैसे कहूँ
    ज़िंदा रहने के लिए केवल साँस नहीं साथ भी चाहिए
    उस साँवली लड़की का
    जो धरती पर आई थी कोरोना की ही तरह
    कोरोना से पहले!

    छह

    छेद के बाहर से देखो
    कोरोना समेत लाखों वायरस कह रहे हैं :

    मनुष्य भी एक ख़तरनाक वायरस है!

    सात

    भीतर रहना बचाव है

    अपनी स्केच-बुक में
    सितार का स्केच बनाता लड़का
    बरसों से जानता है!

    आठ

    सब-कुछ साफ़ हो जाए
    सारा कुछ निर्मल

    धरती न जाने कब से चाह रही है
    वायरसों से मुक्ति!

    नौ

    वेंटिलेटर और दवाइयाँ ही नहीं
    दिल भी बाँटो दुनिया में,

    कहता जा रहा है कोरोना
    जिसे कोई नहीं सुन रहा है!

    दस

    तीस साल पहले
    मैंने लगा दिया था मास्क 
    कि न लूँ कोई ख़ुशबू तुम्हारे सिवा
    न मिलाऊँ किसी से हाथ तुम्हारे बाद

    भीतर रहते
    इतना संन्यस्त हो गया हूँ मैं
    कि दुनिया को देखे बिना जी रहा हूँ

    इतने लंबे क्वारंटीन के बाद भी
    नहीं मर रहा है ढाई अक्षर का वायरस!

    स्रोत :
    • रचनाकार : विनोद विट्ठल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए