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थिएटर करना

theater karna

शिरीष कुमार मौर्य

शिरीष कुमार मौर्य

थिएटर करना

शिरीष कुमार मौर्य

और अधिकशिरीष कुमार मौर्य

    एक छोटे क़स्बे में थिएटर करना

    सबसे पहले उस क़स्बे के सबसे अमीर और अय्याश आदमी के आगे खड़े होकर चंदा माँगना है

    और वह भी एक हक़ की तरह

    उसे हर साल होने वाली रामलीला, धर्मगुरुओं-साध्वियों आदि की प्रवचन संध्याओं,

    बड़े अँग्रेज़ी स्कूलों के सालाना जलसों में अनुस्यूत डी.जे. आदि

    और अपने इस होने वाले नाटक के बीच

    एक नितांत अनुपस्थित साम्य को समझाना है थिएटर करना

    सरकारी दफ़्तरों के चक्कर लगाना है मदद के वास्ते

    घूसख़ोर अफ़सरों को पहचानना

    और पुराने परिचितों को टटोलना है थिएटर करना

    एक सही और समझदार आदमी अचानक मिल सकता है

    अचानक बिक सकती हैं कुछ टिकटें आपको तैयार रहना है

    और उसी बीच लगा आना है एक चक्कर

    लाइट और साउंड सिस्टम वाले

    और उस घी वाले थलथल लाला के यहाँ भी जिसने मदद का वायदा किया

    और सुनना है उससे

    कि ये इमदाद तो हम नुक़सान उठाकर आपको दे रहे हैं भाई साहब

    आपने भी छात्र राजनीति में रहते

    कभी तंग नहीं किया था हमें

    ये तो बस उसी का बदला है!

    इस तरह

    पुरानी भलमनसाहत और अहसानात को खो देना है थिएटर करना

    जब रोशनी और आवाज़ और अभिनय के समंदर में तैर रहे होते हैं किरदार

    और दर्शक भी अपना चप्पू चलाते और तालियाँ बजाते हैं

    ठीक उसी समय

    सभागार के सबसे पीछे के अँधेरे हाहाकार में

    अनायास ही बढ़ गए ख़र्चे का हिसाब लगाना है

    थिएटर करना

    नाटक के बाद रंगस्थल से मंच की साज-सज्जा का सामान खुलवाना

    कुर्सियाँ हटवाना और झाड़ू लगवाना है

    थिएटर करना

    जिसमें तयशुदा पैसों में किंचित कमी के लिए रंगमंडल के थके-खीझे किंतु समर्पित निर्देशक से

    मुआफ़ी माँगना भी शामिल है

    देर रात की सूनी सड़क पर बीड़ी के कश लगाते बंद हो चुके अपने घरों के दरवाज़ों को खटखटाने जाना है

    थिएटर करना

    बूढ़ी होती माँ के अफ़सोस के साथ अवकाशप्राप्त पिता के क्रोध को पचाना

    और अगली सुबह तड़के कच्ची नींद से उठकर शहर से जाते रंगमंडल को दुबारा बुलाने के उनींदे विश्वास में

    विदाई का हाथ हिलाना है थिएटर करना

    कौन कहता है

    कौन?

    कि महज़ एक प्रबल भावावेग में

    अनुभूत कुशलता के साथ मंच पर जाना भर है

    थिएटर करना!

    स्रोत :
    • रचनाकार : शिरीष कुमार मौर्य
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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