ठग विद्या, कोयल, सवर्ण और श्रमण
thag widdya, koel, sawarn aur shramn
सवर्ण कोयल हैं हम श्रमण काग
वे ठगते रहे हैं हमें हम ठगाते
वे परजीवी हैं हम उनके दाना पानी।
हमारे घोंसलों में वे अपने अंडे डाल
डाल हमें विभ्रम में
अपने अंडे मुफ़्त में हमसे सेववाते रहे हैं
लाठी-बल से ही नहीं केवल
झाँसा दे भी बेगार करवाते रहे हैं
हमारी सेवा से बने चूजे उनके
अंडे से निकलते ही हमें
आँख दिखाते रहे हैं चिढ़ाते रहे हैं
सभ्यता का पाठ पढ़ाते रहे हैं
ठग विद्या गोया
मीठी है
सवर्णी है
अपने मूल में!
- रचनाकार : मुसाफ़िर बैठा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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