तमाम दुःखों में से मुझे एक दुःख यह भी है कि
tamam duःkhon mein se mujhe ek duःkh ye bhi hai ki
दीपक जायसवाल
Deepak Jayaswal
तमाम दुःखों में से मुझे एक दुःख यह भी है कि
tamam duःkhon mein se mujhe ek duःkh ye bhi hai ki
Deepak Jayaswal
दीपक जायसवाल
और अधिकदीपक जायसवाल
मेरी गैया कल
बियाते समय मर गई
त्रिवेनी चाचा पूरी उमर
बेलदारी का काम करते-करते
एक दिन मर गए
कि बाबूजी
बहुत तेज़ी से बुढ़ाने लगे हैं
और उनका बुढ़ाना मैं रोक नहीं पा रहा।
तमाम दु:खों में से
मेरा एक दुःख यह भी है कि
मेरे बचपन में दिखने वाले
ढेर सारे लोग जाने कहाँ गुम हो गए?
कि मेरी स्मृति कभी-कभी मेरा
साथ नहीं देती
कि मेरे गाँव की ओर जाने वाला रास्ता
हर साल थोड़ा और लंबा हो जाता है
कि ध्रुव तारे के बग़ल वाला तारा
अब और धुँधला हो गया है।
- रचनाकार : दीपक जायसवाल
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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