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स्वप्न में स्त्रियाँ

swapn mein striyan

आग्नेय

आग्नेय

स्वप्न में स्त्रियाँ

आग्नेय

और अधिकआग्नेय

    असंख्य स्त्रियाँ चीत्कार और विलाप करती हैं

    क्या मैं बधिर हो गया हूँ

    सुन नहीं पा रहा हूँ ये कौन-सी स्त्रियाँ हैं

    जो इस तरह स्वप्न में दिख रही हैं

    उनके चेहरे धुँध में डूबे हैं

    और उनकी देहें एक इस्पाती पारदर्शी दीवार के पीछे

    पंक्तिबद्ध खड़ी हैं

    वे कभी चीख़ते-चीख़ते रोने लगती हैं

    मैं अपनी अधीरता से आक्रांत

    उनके चेहरे को देखता हूँ

    धीरे-धीरे सारे चेहरे पहचाने हैं

    यह सारी स्त्रियाँ वे ही हैं

    जिनको प्रेम और अत्याचार दोनों सहने पड़े

    उनमें से कुछ को दुराचार भी सहना पड़ा

    यह कोई स्वप्न नहीं है

    यह पुरुष जीवन का यथार्थ है

    जिसे वह अपनी अधीरता में

    और अपने चातुर्य से स्वप्न की तरह देखता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भूल गए शब्द लिखना (पृष्ठ 86)
    • रचनाकार : आग्नेय
    • प्रकाशन : पहले पहल प्रकाशन
    • संस्करण : 2011

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