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सुनो कविते!

suno kavite

अनुवाद : सुनीता डागा

शरयू असोलकर

शरयू असोलकर

सुनो कविते!

शरयू असोलकर

और अधिकशरयू असोलकर

    यूँ ही मत चली आना

    कि चलो लगे हाथ तैयार हैं शब्द

    नहीं सही जाती है मुझसे

    तुम्हारी होती हुई टूट-फूट

    ऊपर से मेरी ही

    हथेलियों की

    उदास रेखाओं की जद्दोजहद

    नहीं सुनाऊँगी कभी भी

    आँसुओं के होने की कहानी

    बस तुम मत चली आना

    इन निरीह बेसहारा पलों में

    मैं ढहा दूँगी

    मेरे मन में बढ़ती जाती

    सनातन दीवारों को

    तुम अपने प्राणों को सँभालना

    मेरे पास आने से पहले

    कविते!

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : शरयू असोलकर
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

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