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स्थिति

sthiti

कल्पना मनोरमा

और अधिककल्पना मनोरमा

    आसमान ख़ाली देख

    घिर आए बादल

    बादलों को ख़ाली देख

    सिमट आई बिजली

    बादलों की गर्जनाओं में

    लपकी-झपकी बिजली

    और गिर पड़ी

    नदी के सीने पर

    चली हवा उमड़-घुमड़

    नाचने लगा मोर

    उत्सव हुआ जारी

    टिटहरी ने देखे घिरे बादल

    उठाए पाँव उसने ऊपर

    बचाया कुनबे को गिरने से आसमान

    डर हुआ जारी

    नील गगन हर वक़्त मौन था

    बच्चे इसलिए मौन थे

    क्योंकि वे अंडों में थे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कल्पना मनोरमा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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