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सोनागाछी का मतलब

sonagachhi ka matlab

जोशना बैनर्जी आडवानी

जोशना बैनर्जी आडवानी

सोनागाछी का मतलब

जोशना बैनर्जी आडवानी

और अधिकजोशना बैनर्जी आडवानी

    वे नर्तकियाँ थीं

    नृत्य-कला में संपन्न

    मणिखचित, अमल, धवल

    देवी को पूजती स्वयं कला की देवियाँ

    राज-सम्मान पाती थीं

    उनके समीप नहीं जा पाता था कोई भी सामान्य जन

    यह अक्षुण्ण नहीं रहा

    समय की प्रलयाग्नि बुझी इनकी देहों पर

    देव का कौन सा आज्ञाकारी मेघ देता उन्हें शीतलता

    पृथ्वी के अश्रुओं से महीन हो जाती थी इनकी हँसी

    कहलाई सिद्धिदात्री शक्तिस्वरूपा पंचवेश्या

    राजवेश्या, गुप्तवेश्या, देववेश्या, नागरी एवं ब्रह्मावेश्या

    अप्सराएँ और गणिकाएँ कहलाती थी वैदिक काल में

    कहलाई देवदासियाँ और नगरवधुएँ मध्ययुग में

    वे लोष्ठवत चीज़ों में तुली

    अब वे वेश्याएँ कहलाईं

    मात्र वेश्याएँ

    चित्तरंजन एवेन्यू में फैला है बाज़ार

    कई सौ बहुमंज़िला इमारतों में

    कमलिनियाँ खिलती हैं भीषण झंझानिल में

    जनी गई कन्याओं को छाती से चिपका कर बैठी माँओं से

    छीन ली जाती हैं उनकी बेटियाँ

    बारह साल की कन्या सीख जाती है कंचुकी उतारना,

    पुरुषों के साथ सो जाना, पीड़ा में कीकना

    उठती हैं तो पाती हैं अपने ही हाथों में अपनी

    मृत देह और दो सौ रुपए

    इतना ही है इनका मूल्य

    किसी भी एकादशी स्नान से पवित्र नहीं होती ये वेश्याएँ

    कंजकली खिल नहीं पाती सोनागाछी में

    एक अबूझ भाषा तैरती है इनकी आँखों में

    एक अ-मापे समय का अश्रु-मज्जन है जीवन इनका

    मीलों की यात्रा एक दिन में पूर्ण करके

    गिरती हैं ये अनलपिंड की तरह

    वज्र के समान कठोर हृदय लिए प्रयत्न करती हैं

    गिरती हैं, झरती हैं, बहती हैं, रूलती हैं

    इनकी आख्यायिका में केवल कालिमा और हतभाग्य है

    जिस परिश्रम से होती है खेती, उसी परिश्रम से

    बनता है आलय, बनती हैं सड़कें, बनते हैं कारख़ाने

    इनके परिश्रम से बनती हैं और कई वेश्याएँ

    प्रेमपत्रों और माथे के स्नेह चुंबनों से वंचित

    सम्मान से और सुख से वंचित

    सुरक्षा से और अनुराग से वंचित

    राख राख है ये सभी पर वास है सोनागाछी में

    सोनागाछी मतलब सोने का पेड़

    स्रोत :
    • रचनाकार : जोशना बैनर्जी आडवानी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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