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धूप-छाँव

dhoop chhaanv

दर्शन बुट्टर

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धूप-छाँव

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और अधिकदर्शन बुट्टर

    जिज्ञासा

    समुद्र का चढ़ना-उतरना 
    चाँद का बढ़ना-घटना 
    सूरी गाय का सींग बदलना 
    कुछ भी बेसुर नहीं 
    मेरे सुर ही क्यों उखड़े हैं गुरुदेव!

    पंछी हुंकारी भरते 
    वृक्षों की बात का 
    हवा लोरियाँ देती पक्षी शावकों को 
    पत्ता-पत्ता भरा उमंगों से 
    कितना सहज है जंगल का बर्ताव 
    मेरी सहजता क्यों लापता

    रंग विनसते विकसते 
    नक़्श, उघड़ते मिटते 
    साये फैलते सिमटते 
    कितना तरतीब में है सब कुछ 
    गुरुदेव! मैं ही बेतरतीब क्यों!

    अभी
    इंद्रधनुष था आसमान में 
    अभी, पक्षी-पंक्तियाँ गुज़री हैं सिर के ऊपर से 
    अभी-अभी चमकी थी बिजली 
    नज़रों के अद्भुत नज़ारों पर 
    क्यों छा जाती है कालिख बार-बार

    पानी का 
    अपना रंग क्यों नहीं 
    चंद्रमा इसमें चाँदी घोले 
    और सूरज सोना 
    सारी नीलाभा अंबर की बख़्शीश 
    पानी का 
    अपना रंग क्यों नहीं होता!
    क़ुदरत के शोर में 
    कितनी शांति 
    मेरी शांति में इतना शोर क्यों है...


    गुरुदेव

    ख़ुदी से मुक्त होकर देख सखी! 
    ख़ुद को हाज़िर देखेगी 
    हर रंग तरंग और हरकत में

    बेचैनी दिशा में हो 
    तो वरदान बनती 
    दर्द में ज्ञान गुँथा हो 
    तो भूख मिटती है

    सपना नहीं है सारा विस्तार 
    यह एक ऐसा सच 
    जिसकी तलाश में हमें 
    ख़ुद गुम होना पड़ता है

    सुन 
    टिकी रात में पवन की सरगोशियाँ
    चाँद और घास की गुफ़्तगू 
    नन्हें अवहेलित फूलों के मीठे गीत

    देख 
    ओस बिंदु में छिपी सवेर 
    कँटीली बबूल में से झाँकता सूरज 
    पगडंडी पर प्रथम राही के पगचिह्न

    हाज़िर रह क़ुदरत के हर बर्ताव में 
    अद्भुत है जाती हर राह 
    करिश्मा है यह आती-जाती हुई साँस

    ब्रह्मांड के उड़ते खंड हैं हम 
    एक दूसरे से भिड़ते...जुड़ते...टूटते...बनते 
    अपना-अपना किरदार निभाते

    हमारे भीतर शोर भी, ख़ामोशी भी 
    दोनों के टकराव में से 
    कैसे सिरिजना है हर्ष 
    ख़ुदी से मुक्त होकर सोच सखी!...

    स्रोत :
    • पुस्तक : महाकंपन (पृष्ठ 39)
    • रचनाकार : दर्शन बुट्टर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2016
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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