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खूँटे से बँधे हुए

khunte se bandhe hue

अनुवाद : केदार कानन

रामकृष्ण झा ‘किसुन’

रामकृष्ण झा ‘किसुन’

खूँटे से बँधे हुए

रामकृष्ण झा ‘किसुन’

और अधिकरामकृष्ण झा ‘किसुन’

    हम लोग बँधे हुए हैं

    हम लोगों को अतीत ने

    ‘हरी’ में ठोंक रखा है

    हज़ारों साल बीत जाने के बाद भी

    हम लोग निरंतर चलते हुए

    उसी जगह खड़े हैं

    हम लोगों का अगला पड़ाव

    दिन भर चलने के बाद

    सायंकाल

    फिर उसी जगह होता है

    जहाँ सुबह हुई थी

    और हम उठकर चले थे

    कोल्हू के बैल की तरह

    हम लोग समन्यवादी हैं

    लड़ने की बजाय हम लोग

    बच जाने की राह बनाते हैं

    ज़िंदगी भर अतीत की ही

    जुगाली करते हैं

    हम लोग

    बाप के बाप और उसके बाप के बाप

    यानी अनगिनत बापों की परंपरा में जीते हैं

    एक दुर्निवार माया ने

    समूचे देश को

    अपने पल्लू में ढँक रखा है

    इसीलिए ढेर सारी लाशों के बीच रहने में

    हमें गौरव बोध होता है

    लाशों की अनेक अक्षौहिणियाँ

    हम लोगों के माथे में

    प्रेत नृत्य कर रही हैं

    हथियारों से ‘हैण्ड्स-अप’ करा रखा है

    समस्त वर्तमान और भविष्य को

    एक अजीब अजगर ने दबोच रखा है

    अपना नुकीला ज़हरीला दाँत

    हमारी पीठ में उसने चुभो रखा है

    हम लोग बँधे हुए हैं

    हम लोगों को अतीत ने

    अँधेरे में भुला रखा है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैथिली कविताएँ (पृष्ठ 13)
    • संपादक : ज्ञानरंजन, कमलाप्रसाद
    • रचनाकार : रामकृष्ण झा ‘किसुन’
    • प्रकाशन : पहल प्रकाशन
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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