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शिकारी

shikari

अनुवाद : इबोहल सिंह काड़्जम

राजकुमार मधुवीर

हद हो गई, क्या हो गया हे शिकारी

कुछ पल के लिए ही रोक लो चलाना विष-बाण

इस वन के पशु-पक्षी ही नहीं

पेड़-पौधे, घास-पात तक

जड़-मूल से मिट जाएँगे

तुम्हारे विष की ताड़ना से।

बहुत दूर—

दूर, प्रकृति देवी का विश्राम स्थल

बेचारे पशु-पक्षियों की शरण स्थली

सुंदर और निःस्तब्ध यह वन बन गया हिरोशिमा

द्वितीय महायुद्ध के बाद का

हद हो गई, क्या हो गया हे शिकारी

कुछ पल के लिए ही रोक लो चलाना विष-बाण।

निर्दोष है वह बाघ-शावक

जिसको तुम लोग भक्ष्य बनाकर पीछा कर रहे हो

रोज़

मेरे पास विश्राम किया करता था

मेरी गोद में सोया करता था

हर बार शिकार करने के बाद

हद हो गई, क्या हो गया हे शिकारी

कुछ पल के लिए ही रोक लो चलाना विष-बाण।

होंठ काटकर सहता आया हूँ

ऊब गए हैं दोनों कान

थोड़े क्षणों के लिए भी हृदय को शांति नहीं मिली

रह नहीं सका अब चुप

तुम्हारे अजानी दिशाओं से आने वाले बाणों की आवाज़ सुनकर

खाने और रहने का ठिकाना तक भूल गए हैं सीधे-सादे

सारे पशु-पक्षी

झाड़ियों में छिपने की सरसराहट सुनते ही

सोचकर, बाघ-शावक है

बेचारे अनेक निर्दोष पशु-पक्षियों को

तुम लोगों ने मारा निष्ठुरता से।

फिर—

हवा के झोंकों से हिलते इलते पत्तों के बीच

तुम लोगों ने बाण चलाकर

मार दिया एक गर्भवती गाय को

फिर—

मानकर वही दिशा है, जहाँ वह बाघ-शावक भाग गया था

मारा चलाकर बाण एक बूढ़े भैंसे को भी

हद हो गई, क्या हो गया हे शिकारी

कुछ पल के लिए ही रोक लो चलाना विष-बाण।

तुम्हारे—

कुत्ते, मुर्गे, बतख, कबूतर खा गए हैं, ऐसा मानकर

अगर उस बाघ-शावक को पकड़ना चाहो

उसे दंड देना चाहो

तो रावण की तरह सीता हरण के लिए

घुस आओ वन के हृदय में

सोने का हिरण बनकर

बतख, कबूतर, कुत्ते, मुर्गे की तरह

मोहित कर बुलाते हुए

ले जाओ उसे

ले जाओ जैसे सीता को पंचवटी वन से लंका के राजमहल

तक ले गया था

किंतु ऐसा कर

हाथ में अस्त्र लेकर

बताकर तुम ही बलवान हो

सीधे-सादे और अबोध, कहीं भी मिले

अनेक कीड़े-मकोड़े, पशु-पक्षियों के

जीवन को

असमय व्यर्थ ही क्यों नष्ट कर दिया?

हद हो गई, हद हो गई, हे शिकारी हद हो गई

कुछ पल के लिए ही रोक लो चलाना विष-बाण।

स्रोत :
  • पुस्तक : आधुनिक मणिपुरी कविताएँ (पृष्ठ 37)
  • संपादक : देवराज
  • रचनाकार : राजकुमार मधुवीर
  • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
  • संस्करण : 1989
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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