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शमशेर के लिए

shamsher ke liye

अंचित

अंचित

शमशेर के लिए

अंचित

और अधिकअंचित

    जैसे कोई भारी चरसी दिखने वाला

    असल में माउथ फ़ैगर होता है,

    और ऐब्स्ट्रैक्शन का अवचेतन पकड़ने के चक्कर में

    पंद्रह साल से अपनी बेहयाई के पीछे भागता...

    डियर शमशेर

    गिंज़्बर्ग की तरह चश्मा लगाए

    राजकमल चौधरी की तरह थोड़े अराजक

    भाषा रस्सी है जिसको लपेटना किसी लट्टू पर

    कविता है।

    अंतरंग पर घुसपैठियों का ज़ोर

    उत्तरआधुनिकता का शोरबा

    अपनी भाषा पर उबकाई आती है

    नीला ज़हर

    एक छुरी की तेज धार और एक दरिया खूँ का

    जो ज़द में आता है कट जाता है

    कितना अकेला है चाकू।

    समकालीन आर्ट और समालोचना का डिस्कोर्स—

    नया युग कहाँ है और उसका वादा?

    जाना था उधर ही, किसी के होने को

    अपने चलने का रस्ता बनाए

    बेकस की हँसी है हमारा जीना, डियर शमशेर,

    हम लोग, हम कवि लोग।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अंचित
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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