Font by Mehr Nastaliq Web

अभिसारिका

abhisarika

पंकज प्रखर

पंकज प्रखर

अभिसारिका

पंकज प्रखर

और अधिकपंकज प्रखर

    उस दिन मैंने अनायास ही

    विनोद में कह दिया :

    यह नील परिधान

    तुम्हारी सुवर्ण कमनीय देह पर नहीं शोभता।

    लेकिन शुभे! अबकी आना मिलने तो

    पहनना वही नीली फुलकारी वाली कुर्ती,

    तिस पर ओढ़ना अपना कुसुम्भी दुपट्टा

    और बालों को खुला छोड़ना

    नही तो ये उच्छृंखल तरयौना खेलेगा उनसे

    मेरी लरजती उँगलियाँ कोसेंगी ख़ुद को।

    पहनना वही श्यामवर्णीय तरयौना जो गए दिन

    अस्सी घाट से लाई थीं तुम।

    सुवर्णे! अबकी आना जब

    पायल पहनना

    वह रति में बाधा ही पहुँचावेगी।

    गुल्फ में पहन लेना श्याम वर्ण का सूत

    इधर-उधर की नज़र से बचने के लिए

    पहना करे हैं ये आजकल स्त्रियाँ।

    दिन भर की चाक-डस्टर धूल से किरकिराते

    विशाल पुंडरीक नेत्रों को धुल लेना

    गुलाब मिश्रित जल से।

    तदुपरांत घी से सजे कज्जल चूर्ण से

    करना उन्हें अंजित

    निकालना एक पतली-सी कोर,

    अहा! यह रात्रि अत्यंत सघन हो उठेगी।

    भ्रू-अलकों के मध्य में कुमकुम लगाना

    नही तो इस कृष्ण रात्रि में प्रस्फुटित हो उठेगी

    तुम्हारे प्रदीप्त ललाट पर यह ज्योतिर्मय लालिमा।

    श्याम वर्ण की लघु बिंदी रखना

    भ्रू-लताओं के तनिक ऊपर।

    सुवर्ण कंगन पहनना मणिबंधों में!

    डालोगी जब गलबहियाँ तो चुभेगी ग्रीवा में मेरे।

    सुनो! यह बूढ़ा आम्रवृक्ष तनिक बुदबुदाता है

    अबकी यहाँ मिलने आना प्रिया!

    प्रिये! जब आना तो अपने नाम से

    उपसर्ग (सु) पृथक कर देना

    यह चंपा लजा जाती है तुमसे।

    आना! तनिक रात ठहर जाए तब

    छतों पर कूदने की आवाज़ बंद हो जाए जब

    जाना! रख देना अपने अधर मेरे अधरों पर!

    सब कुछ अनकहा पढ़ लूँगा।

    चूमकर ग्रीवा पर रख देना एक दंत-पंक्ति

    मेरे वक्ष के रोम में फँसाकर अपनी दुबली उँगलियाँ

    रख देना अपने स्तनों को मुख पर मेरे

    तुम्हारे उभारों में छुप, सोऊँगा

    विस्मृत होकर, निश्चिंत!

    पहर दो पहर तक।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पंकज प्रखर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए