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ख़ुदा, रामचंदर में यारी है ऐसी

khuda, ramchandar mein yari hai aisi

रमाशंकर यादव विद्रोही

रमाशंकर यादव विद्रोही

ख़ुदा, रामचंदर में यारी है ऐसी

रमाशंकर यादव विद्रोही

पटाखा है ये और ये फुलझड़ी है,

ये दुनिया तुम्हारी ज़हर से भरी है,

यहाँ हर डगर पर कन्हैया खड़े हैं,

कन्हैया खड़े हैं तो वंशी लिए हैं,

और काजल लगाए हैं चंदन दिए हैं,

और नंगे हैं, पर पान खाए हुए हैं,

काजल लगाकर लजाए हुए हैं।

दुनिया की गायें, इन्हीं की है गायें,

ये दुनिया में चाहे जहाँ भी चराएँ,

इधर देखिए रामचंदर खड़े हैं,

बग़ल में इन्हीं के लखन जी खड़े हैं,

बीच में उनके सीताजी माताजी खड़ी हैं,

ये सीताजी माताजी पूरी सती हैं,

ये पति भी के रहते हुए भी बेपति हैं।

रोइए, रोइए, अब सभी रोइए,

राम, सीता, लखन, तीनों वन को चले हैं,

बे-पैसे ही नदियों को तरते चले हैं,

मल्लाहों से पाँव को धुलाते चले हैं,

ये संतों-महंतों को देते चले हैं,

ग़रीबों, किसानों से लेते चले हैं।

प्रथम बाण से ये चमारों को मारें,

दूसरे बाण से ये गँवारों को मारें,

तीसरे बाण से जो बचा उसको मारें,

औरत को तो अपने हाथों से मारें।

उधर देखिए ख़ुदा जी खड़े हैं,

ख़ुदा, रामचंदर से जैसे जुदा हैं,

ख़ुदा-रामचंदर में नुक़्ते का अंतर,

ख़ुदा-रामचंदर बेहूदा बराबर,

इधर रामचंदर जी चंदन दिए हैं,

उधर से ख़ुदा जी भी टोपी दिए हैं।

कहाँ से नया बल ख़ुदा को हुआ है,

कब से हुए रामचंदर बहादुर,

ख़ुदा रामचंदर ये दोनों जने ही,

अमरीकी बुकनी की मालिश किए हैं,

ख़ुदा-रामचंदर ये दोनों नंगे पाँ,

पर पाँवों में डॉलर की पॉलिश किए हैं।

स्रोत :
  • पुस्तक : नई खेती (पृष्ठ 39)
  • रचनाकार : रमाशंकर यादव विद्रोही
  • प्रकाशन : सांस, जसम
  • संस्करण : 2011
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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