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सब तुम्हें नहीं कर सकते प्यार

sab tumhein nahin kar sakte pyar

कुमार अम्बुज

कुमार अम्बुज

सब तुम्हें नहीं कर सकते प्यार

कुमार अम्बुज

और अधिककुमार अम्बुज

    यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्हें करें प्यार

    यह तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो

    और माथे पर जो बल आते हैं

    हो सकता है किसी एक को इस पर आए प्यार

    लेकिन इसी वजह से कई लोग चले जाएँगे तुमसे दूर

    सड़क पार करने की घबराहट खाना खाने में जल्दबाज़ी

    या ज़रा-सी बात पर उदास होने की आदत

    कई लोगों को तुम्हें प्यार करने से रोक ही देगी

    फिर किसी को पसंद नहीं आएगी तुम्हारी चाल

    किसी को आँख में आँख डालकर बात करना गुज़रेगा नागवार

    चलते-चलते रुक कर इमली का पेड़ देखना

    एक बार फिर तुम्हारे ख़िलाफ़ जाएगा

    फिर भी यदि तुमसे बहुत से लोग एक साथ कहें

    कि वे सब तुमको करते हैं प्यार तो रुको और सोचो

    यह बात जीवन की साधारणता के विरोध में है

    यह होगा ही कि तुम धीरे-धीरे अपनी तरह का जीवन जिओगे

    और अपने प्यार करने वालों को

    अजीब मुश्किल में डालते चले जाओगे

    जो उन्नीस सौ चौहत्तर में, उन्नीस सौ नवासी में

    और दो हज़ार पाँच में करते थे तुमसे प्यार

    तुम्हारी जड़ों में देते थे पानी

    और कुछ जगह छोड़ कर खड़े होते थे कि तुम्हें मिले प्रकाश

    वे भी एक दिन इसलिए जा सकते हैं दूर कि अब

    तुम्हारे जीवन की परछाईं उनकी जगह तक पहुँचती है

    तुम्हारे पक्ष में सिर्फ़ यही बात हो सकती है

    कि कुछ लोग तुम्हारे खुरदरेपन की वज़ह से भी

    करने लगते हैं तुम्हें प्यार

    जीवन में उस रंगीन चिड़िया की तरफ़ देखो

    जो किसी का मन मोह लेती है

    और ठीक उसी वक़्त एक दूसरा उसे देखता है

    शिकार की तरह।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कुमार अम्बुज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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