रुद्रावतार-13
rudrawtar 13
सुस्मरण किया वामांग शक्ति का फिर
माँ शक्ति तुरत ही प्रकट हुई
शिव की चिंता थी छुईमुई—
“है धर्म-च्युत हुआ धरा पर दशकंधर”
सुस्मरण किया वामांग शक्ति का फिर
ध्यानावस्था में ही भगवान विष्णु से अपना सुसंवाद पूर्ण करने के बाद, रावण को उनके प्रति अभूतपूर्व भक्ति से प्राप्त अपार शक्ति के दुरुपयोग से पृथ्वी के भयंकर कष्ट के निवारण में अपनी विषम स्थिति पर विचार करते हुए, अर्धनारीश्वर शिव ने वाम अंग में संस्थित महाशक्ति का स्मरण किया। उनके प्रकट होते ही शिव की चिंता दूर हो गई। तब उन्होंने माँ शक्ति से विचार-विनिमय प्रारंभ करते हुए कहा—“मेरा परम भक्त रावण दुर्भाग्य से पृथ्वी पर धर्म से विमुख होकर अत्याचार कर रहा है।
- रचनाकार : उद्भ्रांत
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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